सीमा विवाद वर्तमान में पूरे विश्व का एक ट्रेंडिंग मुद्दा है, जिससे दुनिया का कोई भी देश अछुता नहीं है। जहां दुनिया के कई देशों में सीमा को लेकर विवाद चल रहे है। इन विवादों में भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद, भारत-चीन सीमा विवाद, चीन-ताइवान सीमा विवाद, रूस और यूक्रेन के बीच सीमा विवाद (Russia and Ukraine Dispute) वर्तमान के कुछ चर्चित विवाद है। जो कि दो देशों के बीच समय -समय पर तनाव की स्थिति के लिए जिम्मेदार है।
वैसे तो हर विवाद अपने आप में एक लंबा और पुराना इतिहास लिए है, लेकिन इन विवादों में रूस और यूक्रेन का विवाद एक गंभीर, लेकिन दिलचस्प सीमा विवाद है। जहां हम अपने पिछले आर्टिकल 2022 में रूस की जनसंख्या कितनी है, में रूस के विषय में विस्तार से जानकारी दे चुके है। वहीं आज हम अपने आर्टिकल में आपको जानकारी देंगे कि आखिर क्या है Russia and Ukraine Dispute।

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रूस के बारे में
रूस दुनिया के सबसे पावरफुल देशों में से एक माना जाता है। साथ ही क्षेत्रफल की दृष्टी से रूस दुनिया में पहले स्थान पर है। अगर बात की जाए इस देश की अर्थवयवस्था के बारे में तो, जनसँख्या की दृष्टी से दुनिया में नौवें स्थान पर मौजूद रूस एक डेवलप कंट्री है, जिसके पास खुदके तेल और गैस के भण्डार है। इतना ही नहीं रूस दुनिया के कई देशों को तेल और गैस का निर्यात करता है।
लगभग 15 करोड़ की आबादी वाला रूस न केवल गैस और तेल के भंडारों से भरा है, बल्कि उसके पास सोने और अन्य खनिजों के भी भंडार है, जो किसी अन्य देश के पास नहीं है। 99 प्रतिशत साक्षरता वाले रूस के पास परमाणु बम से लेकर हाइड्रोजन बम जैसे खतरनाक हथियार है। इतना ही नहीं रूस खुद हथियारों का निर्माण कर दूसरे देशों को निर्यात करता है। इन हथियारों के निर्यात का रूस की इकोनॉमी में एक महत्वपूर्ण योगदान है।

यूक्रेन के बारे में
सोवियत यूनियन का हिस्सा रहा यूक्रेन एक ऐसा देश है जो कि अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है। इस देश के करीब 7 स्थान वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल है। मुख्य रूप से खेती और अपनी सुन्दरता के लिए मशहूर यूक्रेन यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है। हालांकि किसी अन्य देश की तुलना में यूक्रेन काफी छोटा है, लेकिन किसी भी देश से लोहा लेने में यह देश बिलकुल भी पीछे नहीं है।
इसके पीछे का कारण इस देश के हर नागरिक का अपनी पढ़ाई के बाद आर्मी में भर्ती होने की अनिवार्यता का होना है। इसके साथ ही यूक्रेन अपने देश में मेडिकल की पढ़ाई के लिए जाना जाता है। इस देश में बहुतायात में सभी देशों के स्टूडेंट्स पढ़ने के लिए जाते है। इस देश की खूबसूरती देखते ही बनती है, ऐसे में टूरिज्म इस देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है।

Russia and Ukraine Dispute का कारण
रूस और यूक्रेन जितने बड़े और सुन्दर देश है, इनके बीच का विवाद उतना ही बड़ा है। दरअसल 30 साल पहले तक रूस और यूक्रेन एक ही देश का हिस्सा थे, किन्तु 1991 में यूक्रेन सोवियत यूनियन से आजाद हुआ। इसी के बाद से दोनों देशों के बीच विवाद की नीव डली। दरअसल रूस से अलग होने के बाद यूक्रेन नाटो में शामिल होने के लिए अन्य यूरोपीय देश जैसे अमेरिका और ब्रिटेन के नजदीक होने लगा। यह सब रूस को अपने सम्मान पर ठेस की तरह लगा और दोनों के बीच विवाद की शुरुआत हुई। अगर विस्तार से बात करें तो सोवियत यूनियन से अलग होने के बाद यूक्रेन को क्रीमिया गिफ्ट के रूप में मिला। इस समय तक रूस और यूक्रेन के बीच रिश्ते काफी अच्छे थे।
लेकिन वर्ष 2004 में यूक्रेन के राष्ट्रपति के चुनाव में रूस समर्थक नेता विक्टर यानुकोविच (Viktor Yanukovych) ने भारी मतों से जीत हासिल की, जिससे यूक्रेन में विद्रोह की शुरुआत हुई, जो कि ऑरेंज रिवॉल्यूशन के नाम से जाना जाता है। इसके बाद साल 2008 में यूक्रेन को NATO में शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया, जिसके लिए अमेरिका ने भी अपना समर्थन दिया। NATO द्वारा भी जॉर्जिया और यूक्रेन को अपने समूह में शामिल करने की घोषण की। यह बात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को रास नहीं आई और उन्होंने इसका विरोध करते हुए जॉर्जिया पर हमला कर दिया। इस हमले में जॉर्जिया के कई इलाके रूस के कब्जे में चले गए।

जब देश छोड़कर भागे यूक्रेन के राष्ट्रपति
वर्ष 201O में यूक्रेन के राष्ट्रपति चुनाव में एक बार फिर रुसी समर्थक विक्टर यानुकोविच की जीत हुई। उन्होंने राष्ट्रपति बनते है यूक्रेन के NATO में शामिल होने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया। वहीं वर्ष 2013 में राष्ट्रपति विक्टर यूरोपियन यूनियन द्वारा यूक्रेन को मिलने वाले 15 अरब डॉलर के आर्थिक पैकेज के एक समझौते पर हस्ताक्षर करने से पीछे हट गए। विक्टर के द्वारा किये गए इस देश विरोधी कार्य के लिए जनता में विद्रोह की चिंगारी भड़क गई। हजारों की तादात में लोग यूक्रेन की सडक पर राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के फैसले के विरुद्ध उतर गए।
इस विद्रोह में सैकड़ो प्रदर्शनकारियों की मृत्यु हो गई। इसका नतीजा यह हुआ कि राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच को देश छोड़कर भागना पड़ा। कुछ समय बाद यूरोपियन यूनियन के समर्थकों के सत्ता में आने के बाद आर्मी यूनिफ़ॉर्म पहने विद्रोहियों ने क्रीमिया पर हमला कर, उसकी संसद पर कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद वर्ष 2014 में क्रीमिया जनमत संग्रह के बाद आर्थिक तौर पर रूस का हिस्सा बन गया। लेकिन क्रीमिया पर कब्जे के बाद भी रूस और यूक्रेन के बीच संघर्ष जारी रहा। अलगाववादियों ने यूक्रेन के डोनबॉस के दो इलाके लुहंस्क (Luhansk) और डोनेत्स्क (Donetsk) को अलग देश घोषित करने की मुहीम शुरू कर दी। जिसके बाद लुहंस्क और डोनेत्स्क दो अलग-अलग देश बन गए।
जेलेंस्की युग का आरंभ
इसके बाद साल 2019 के चुनाव में डोनबास की पुरानी स्थिति को बहाल करने के वादे के साथ वोलोदिमीर जेलेंस्की यूक्रेन के राष्ट्रपति बनने की दौड़ में शामिल हुए। जहां जेलेंस्की भारी बहुमत से यूक्रेन के राष्ट्रपति चुने गए। सत्ता में आते है जेलेंस्की ने NATO में यूक्रेन को शामिल कराने के अपने प्रयासों को तेज कर दिया। जिसके बाद रूस के राष्ट्रपति ने एक बार फिर अपने सैनिक टुकड़ी को यूक्रेन की सीमा के पास खड़ा कर दिया। जिसके बाद दोनों ही देशों द्वारा आपस में आरोप-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है और देखते ही देखते विवाद अपने चरम पर आ गया।
Russia and Ukraine Dispute में बाहरी देश की भूमिका
दो देशों में सीमा विवाद या अन्य विवादों के पीछे का कारण, कोई बड़ी वजह के साथ – साथ किसी तीसरे देश का दखल भी होता है। इसी तरह रूस और यूक्रेन के बीच सीमा विवाद और अन्य मुद्दों पर चल रहे विवादों के पीछे का एक मुख्य कारण उन दोनों देशों के विचारों में अंतर तो है ही। साथ ही में यूरोप के अन्य देशों का दखल भी इस विवाद का एक बड़ा कारण है। दरअसल रूस हमेशा ही यूरोपियन देशों का प्रतिद्वंद्वी रहा है तथा वह धीरे-धीरे अपनी पॉवर को सभी यूरोपीयन कंट्री की तुलना में तेजी से बढाता जा रहा है।
ऐसे में अन्य सभी यूरोपियन देश चाहते है कि किसी तरह रूस पर काबू किया जाए और उसे अपने से आगे न बढ़ने दे। अपने इस प्रयास के तहत यूरोप के कई देश हमेशा से ही यूक्रेन को समर्थन देते आए है। साथ ही हमेशा ही यूक्रेन और NATO में शामिल करने की बात भी करते आए है। यूरोपियन देशों की यह बात अक्सर ही रूस को यूक्रेन के खिलाफ भडकाती रही है। जिससे समय-समय पर रूस और यूक्रेन विवाद को हवा मिलती रही है।

Russia and Ukraine Dispute पर भारत का स्टैंड
जहां दुनिया भर के देश रूस और यूक्रेन विवाद में लगातार रूस पर दबाव बनाने के लिए यूक्रेन के पक्ष में अपना समर्थन देते आये है। वहीं भारत हमेशा ही इस विवाद पर अपने स्टैंड को न्यूटल रखते आया है। हालांकि सभी जानते है कि रूस और भारत की दोस्ती काफी पुरानी है। रूस भारत की मदद के लिए हमेशा ही खड़ा रहा है। इतना ही नहीं समय-समय पर रूस भारत के लिए अपने वीटो पॉवर का भी उपयोग करता आया है।
ऐसे में भारत का रूस के विरुद्ध जाकर, रूस और यूक्रेन विवाद पर किसी भी तरह का बयान देने का कोई सवाल ही नहीं उठता। लेकिन भारत हमेशा ही शांति से किसी भी विवाद को सुलझाने की बात करता रहा है। एक विकासशील देश होने के साथ भारत वर्तमान में एक विश्वगुरु की भूमिका का निर्वाहन कर रहा है। ऐसे में हर मुद्दे पर भारत की राय सभी देशों के लिए एक विशेष महत्व रखती है।

Russia and Ukraine Dispute पर हमारी राय
अंत में रूस और यूक्रेन के बीच लम्बे समय से चल रहे इस विवाद पर हम यहीं कहना चाहंगे कि, दोनों ही देशों को अपने आंतरिक मुद्दों को आपस में ही सुलझाना चाहिए। इसके लिए दोनों ही देश बातचीत का रास्ता अपना सकते है। क्योकि हमारा मानना है कि, किसी भी समस्या का हल बातचीत से निकाला जा सकता है।
साथ ही दोनों ही देशों को एक दूसरे के नागरिकों के अच्छे और बुरे का ध्यान रखते हुए अपने विवाद का हल निकालना चाहिए। वहीं अपने इस आपसी विवाद को दोनों ही देशों को इतना भी नहीं बढ़ने देना चाहिए कि कोई तीसरा देश इस विवाद का फायदा उठा ले।

उम्मीद है आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा तथा आप जान गए होंगे कि आखिर क्या है Russia and Ukraine Dispute।
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FAQ
रूस और यूक्रेन के विवाद का मुख्य कारण क्या है?
रूस और यूक्रेन के बीच विवाद का मुख्य कारण दोनों देशों का सीमा विवाद है।
यूक्रेन सोवियत यूनियन से कब आजाद हुआ था?
सोवियत यूनियन से 1991 में यूक्रेन आजाद हुआ था।
यूक्रेन की राजधानी क्या है?
यूक्रेन की राजधानी कीव है।