Muladhara Chakra को कैसे जाग्रत किया जाता है, जानिए पूरी जानकारी

Muladhara Chakra – सभ्यता की शुरुआत से ही मनुष्य ने अपने ज्ञान और चेतना से नित नवीन निर्माण किये है। मनुष्य शुरुआत से ही अपने सातों चक्रों को जाग्रत करने के प्रयास करता रहा है।

कहा जाता है कि जिस किसी ने भी इन चक्रों को जाग्रत कर लिया वह दुनिया का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन जाता है। लेकिन सातों चक्रों को जाग्रत करने के लिए कठिन मेहनत और एकाग्रता की जरुरत होती है, जो हर किसी के बस की बात नहीं।

अगर बात की जाए इन सातों चक्रों की तो इनमें से मूलाधार चक्र (Muladhara Chakra) प्रथम चक्र माना गया है। ऐसे में आज हम अपने आर्टिकल में आपको बताएंगे कि Muladhara Chakra को कैसे जाग्रतकिया जाता है।

Muladhara Chakra को कैसे जाग्रतकिया जाता है, जानिए पूरी जानकारी
Muladhara Chakra को कैसे जाग्रतकिया जाता है, जानिए पूरी जानकारी

Muladhara Chakra के अतिरिक्त मनुष्य  के शरीर के सात चक्र कौन से होते है

आपको मूलाधार चक्र क्या है और उसे कैसे जाग्रत करते है, यह जानने के पहले आपको यह जानना होगा कि मानव शरीर के सात चक्र कौन कौन से है। ये सात चक्र इस प्रकार है-

  1. मूलाधार चक्र 
  2. स्वाधिष्ठान चक्र 
  3. मणिपुर चक्र 
  4. अनाहत चक्र 
  5. विशुद्ध चक्र 
  6. आज्ञा चक्र 
  7. सहस्त्रार चक्र 
Muladhara Chakra के अतिरिक्त मनुष्य  के शरीर के सात चक्र कौन से होते है
Muladhara Chakra के अतिरिक्त मनुष्य  के शरीर के सात चक्र कौन से होते है

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Muladhara Chakra क्या है 

मूलाधार शब्द मूल और आधार शब्द से मिलकर बना है। जहां मूल का अर्थ होता है जड़। वहीं आधार शब्द का अर्थ होता है शुरुआत।

इसको अगर परिभाषा में समझे तो जड़ की शुरुआत या पहला आधार। बता दे कि मनुष्य के शरीर का निर्माण माँ के गर्भ से होता है। यहीं से उसकी जड़ें होती है और यही उसका आधार होता है।


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एक शिशु माँ के गर्भ में अपना पूर्ण आकार लेने से पहले एक मांस का गोला होता है। धीरे धीरे वह मनुष्य का शरीर धारण करता है। मनुष्य के शरीर का निर्माण ऊर्जा रूप शरीर में ही होता है, जिसके अनुरूप ही भौतिक शरीर की रचना होती है। अगर ऊर्जा रूप शरीर में कोई गड़बड़ी हो जाती है तो उसका प्रभाव भौतिक शरीर पर भी पड़ता है।

ऐसे में आपने अक्सर देखा होगा कि गर्भवती स्त्री मंदिर में जाकर ईश्वर का आशीर्वाद जरूर लेती है। क्योंकि आशीर्वाद के माध्यम से ऊर्जा रूपी शरीर को आकार प्राप्त होता है और स्त्री का गर्भ जीवंत हो जाता है। 

Muladhara Chakra क्या है
Muladhara Chakra क्या है 

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Muladhara Chakra जागरण  

हमने अपने आर्टिकल में आपको पहले ही जानकारी दे चुके है कि मूलाधार चक्र मनुष्य के सात चक्रों में से प्रथम चक्र होता है। इस चक्र का स्थान मनुष्य के गुदा और लिंग के मध्य होता है।

चार पंखुड़ियों वाले इस चक्र की स्थिति सबसे नीचे होने के चलते इसे आधार चक्र कहा जाता है।

आपको बता दे कि दुनिया में बहुत ही कम व्यक्ति ऐसे होते है जो अपने सभी चक्रों को जाग्रत कर पाते है, जिसके चलते उनकी चेतना मूलाधार चक्र में ही फंसी रहती है। यह चेतना मनुष्य की मृत्यु के समय भी वहीं रहती है। 


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अगर आप संभोग, आलस, भोग विलास और अधिक निद्रा को अपने जीवन में प्रवेश करने देते है तो आपकी ऊर्जा और चेतना मूलाधार चक्र के इर्दगिर्द ही एकत्रित हो जाती है। ऐसे में मूलाधार चक्र को जाग्रत करने के लिए आपको इन सभी दुष्ट विचारों से अपने आपको बाहर निकलना होगा। 

Muladhara Chakra जागरण
Muladhara Chakra जागरण  

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Muladhara Chakra मंत्र 

अगर आप मूलाधार को जाग्रत करना चाहते है तो आपको पद्मासन में बैठकर “लं” मंत्र का जाप करना होगा तथा ध्यान लगाना होगा। इसके साथ ही में आप नशा, संभोग, भोग, विलास जैसे दुष्कर्मों से दूर रहना होगा तथा यम और नियम का ह्रदय से पालन करना होगा। 

Muladhara Chakra मंत्र
Muladhara Chakra मंत्र 

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Muladhara Chakra जागरण प्रभाव 

जब कोई व्यक्ति अपना मूलाधार चक्र जाग्रत हो जाता है, तो उसके स्वभाव में परिवर्तन आ जाता है। यह परिवर्तन भौतिक तौर पर देखा जा सकता है। जिस भी व्यक्ति का मूलाधार चक्र जाग्रत हो जाता है उसके अन्दर वीरता की भावना उत्पन्न हो जाती है।

मन में आनंद के साथ निर्भीकता उत्पन्न हो जाती है। लेकिन आपको ध्यान रखना है कि जब भी आप अपने मूलाधार चक्र को जाग्रत करने के विषय में विचार करें तो, आप संकल्प के साथ और पूर्ण जागरूकता के साथ में इसकी शुरुआत करें। 

Muladhara Chakra जागरण प्रभाव
Muladhara Chakra जागरण प्रभाव

उम्मीद है आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा तथा आप जान गए होंगे कि Muladhara Chakra को कैसे जाग्रत किया जाता है।


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FAQ

Muladhara Chakra के अतिरिक्त मनुष्य के शरीर में और कितने चक्र होते है?

मनुष्य के शरीर में कुल सात चक्र होते है, जिनमें मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र, आज्ञा चक्र, सहस्त्रार चक्र शामिल है।

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