BEP Ka Full Form – कहते है कि शब्दों में बढ़ी ताकत होती है, यह आपके व्यक्तिव को दर्शाते है। शब्दों के द्वारा ही लोग आपकी सोच और आपके स्टेटस का पता लगाते है। लेकिन कई शब्द ऐसे होते है जिनके बारे में हम जानते ही नहीं है लेकिन अपने दैनिक जीवन में इनका इस्तेमाल करते है।
ऐसा ही एक शब्द है BEP। BEP शब्द के बारे में आपने सुना तो जरूर होगा लेकिन आप इस शब्द का फुल फॉर्म क्या होता है इस विषय में जानते नहीं होंगे। आज हम अपने आर्टिकल में आपको BEP के बारे में विस्तार से बताएंगे, कि आखिर BEP क्या होता है इस शब्द का उपयोग किस लिए किया जाता है।

Table of Contents
BEP Ka Full Form क्या होता है
अगर आप BEP के बारे में जानना चाहते है तो सबसे पहले इसके फुल फॉर्म को जानना होगा। आपको बता दे कि BEP Ka Full Form होता है Break Even Points। इसे हिंदी में सम-विच्छेद बिंदु अथवा लाभ-हानि की स्थिति कहा जाता हैं।
इसके अलावा इसे Zero Profit Point के नाम से भी जाना जाता है। बता दे कि BEP एक ऐसा बिंदु होता है, जहां से व्यापार में लाभ की मात्रा शून्य होती है। अगर इसकी परिभाषा की बात करें तो, ब्रेक इवन पॉइंट एक ऐसा बिंदु होता है जहां पर व्यापार में ना कोई लाभ होता है और न ही कोई हानि होती है।
बीईपी एक आपूर्ति पक्ष विश्लेषण होता है जो हमें यह बताता है कि विभिन्न कीमतों पर उत्पाद के लिए बिक्री क्या होने वाली है। इसके साथ ही यह मानता है कि उत्पादित वस्तुओं की मात्रा, बेची गई वस्तुओं की मात्रा के समतुल्य होती है।

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अकाउंटिंग BEP और फाइनेंशियल BEP में अंतर
अक्सर लोगों को अकाउंटिंग बीईपी और फाइनेंशियल बीईपी को लेकर कन्फ्यूजन रहता है। कुछ लोगों इन दोनों को एक ही मानते है। ऐसे में अकाउंटिंग बीईपी और फाइनेंशियल बीईपी में अंतर जाना बहुत जरूरी हो जाता है। आइए जानते है इन दोनों के बीच का अंतर।
Accounting BEP | Financial BEP |
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किसी मुनाफे का विश्लेषण करने का यह आसान तरीका होता है। | यह अकाउंटिंग बीईपी की तुलना में काफी जटिल होता है। |
Accounting BEP में गणना आसानी से की जा सकती है। | Financial BEP में गणना करने में अलग अलग मापों का उपयोग होता है, जो इसे मुश्किल बनाता है। |
इसमें किसी भी खर्चे को कवर करने के लिए उत्पाद की इकाई को बेचकर गणना की जाती है। | इसमें कंपनी की कमाई व प्रति शेयर कमाई शून्य के बराबर होने के लिए उपयोगी कमाई की जरुरत के अनुसार गणना की जाती है। |

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कम्पनी की BEP कैसे बढ़ती है
अगर आपको अपनी कंपनी की BEP बढ़ाना है तो सबसे पहले आपको बिक्री बढ़ाना जरुरी है। क्योंकि बिर्की बढ़ने से प्रोडक्ट की डिमांड बढती है।
जिसके चलते ज्यादा प्रोडक्ट बनाने पड़ते है, ऐसे में अधिक खर्चों को कवर करने के लिए बीईपी बढ़ती है। इसके साथ ही उत्पादन लागत में वृद्धि होने के चलते भी बीईपी की बढ़ती है। इसके साथ ही दुकान, गोदाम, कर्मचारियों का वेतन बढ़ने आदि के चलते भी BEP बढ़ती है।

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BEP कैसे कम होती है
बीईपी को कई अलग अलग तरीकों से कम किया जा सकता है। इसके सबसे अच्छे तरीकों में से एक है उत्पाद की कीमत को बढ़ाना।
लेकिन इसके कई दुष्परिणाम हो सकते है, जैसे अगर आप अपने किसी उत्पाद की कीमत बढ़ाते है तो आप अपने कई सारे ग्राहकों को नाराज कर देंगे, हो सकता है कि आप अपने ग्राहकों को खो भी दे। ऐसे में अगर आप BEP बढ़ाना चाहते है तो, इसे सावधानीपूर्वक करने का प्रयास करें।

उम्मीद है आपको हमारा आर्टिकल पसंद आया होगा तथा आप जान गए होंगे कि BEP Ka Full Form क्या होता है तथा इसकी गणना कैसे की जाती है।
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FAQ
BEP Ka Full Form क्या है?
BEP का फुल फॉर्म होता है Break Even Points। इसे हिंदी में सम-विच्छेद बिंदु अथवा लाभ-हानि की स्थिति कहा जाता हैं।
इसके अलावा इसे Zero Profit Point के नाम से भी जाना जाता है। बता दे कि बीईपी एक ऐसा बिंदु होता है, जहां से व्यापार में लाभ की मात्रा शून्य होती है।
कम्पनी की BEP कैसे बढ़ती है?
अगर आपको अपनी कंपनी की BEP बढ़ाना है तो सबसे पहले आपको बिक्री बढ़ाना जरुरी है। क्योंकि बिर्की बढ़ने से प्रोडक्ट की डिमांड बढती है।